बात बस कपड़ों, अदाओं, घुटनों या राजनीतिक जुमलेबाजी की नहीं है, ये कुछ और मामला है। पुरुष पर बात हमेशा उसके संपूर्ण व्यक्तित्व की होती है, जबकि स्त्री के मामले में पहले उसके टुकड़े किए जाते हैं, फिर उनकी व्याख्या। तो आखिर कब से शुरू हुई स्त्री अंगों की ये लोकल–ग्लोबल प्रोसेसिंग, सुनते हैं हेल्थशॉट्स पॉडकास्ट कड़क चाय के इस एपिसोड में डॉ. सुजाता के साथ।
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24 Nov 2024
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