तयशुदा रास्तों पर चलने से बहुत अलग होता है, किसी नए रास्ते की खोज करना। ड्राइवर के बिना कभी खुद गाड़ी लेकर लंबी यात्रा पर निकलना या कभी किसी ऐसी जगह पर पहुंच जाना, जहां जाने का क ... Read more
तयशुदा रास्तों पर चलने से बहुत अलग होता है, किसी नए रास्ते की खोज करना। ड्राइवर के बिना कभी खुद गाड़ी लेकर लंबी यात्रा पर निकलना या कभी किसी ऐसी जगह पर पहुंच जाना, जहां जाने का कभी सपना भी नहीं देखा था। कड़क चाय के इस एपिसोड में सुजाता बता रहीं हैं औरतों के लिए क्यों जरूरी है घुमक्कड़ी। Read more
बात बस कपड़ों, अदाओं, घुटनों या राजनीतिक जुमलेबाजी की नहीं है, ये कुछ और मामला है। पुरुष पर बात हमेशा उसके संपूर्ण व्यक्तित्व की होती है, जबकि स्त्री के मामले में पहले उसके टुकड ... Read more
बात बस कपड़ों, अदाओं, घुटनों या राजनीतिक जुमलेबाजी की नहीं है, ये कुछ और मामला है। पुरुष पर बात हमेशा उसके संपूर्ण व्यक्तित्व की होती है, जबकि स्त्री के मामले में पहले उसके टुकड़े किए जाते हैं, फिर उनकी व्याख्या। तो आखिर कब से शुरू हुई स्त्री अंगों की ये लोकल–ग्लोबल प्रोसेसिंग, सुनते हैं हेल्थशॉट्स पॉडकास्ट कड़क चाय के इस एपिसोड में डॉ. सुजाता के साथ। Read more
निर्भया के अपराधियों को फांसी की मांग से लेकर वैवाहिक बलात्कार तक, कई बार बढ़ती बहस के बीच कोई अचानक बोल पड़ता है, ‘नॉट ऑल मैन’, यानी सब पुरुष ऐसे नहीं होते। इस बहस को रोकने वाला, ... Read more
निर्भया के अपराधियों को फांसी की मांग से लेकर वैवाहिक बलात्कार तक, कई बार बढ़ती बहस के बीच कोई अचानक बोल पड़ता है, ‘नॉट ऑल मैन’, यानी सब पुरुष ऐसे नहीं होते। इस बहस को रोकने वाला, मोड़ने वाला कौन था? आपका सहकर्मी, परिवार का कोई सदस्य या फिर आपका पार्टनर। तो सुनिए क्यों स्त्री अधिकार की राह में घातक हैं पुरुषों की ये भावनात्मक आपत्तियां। हेल्थ शॉट्स पॉडकास्ट ‘कड़क चाय’ के इस एपिसोड में सुजाता के साथ। Read more
शरीर के माप से लेकर कॅरियर, शादी और बच्चे पैदा करने की उम्र तक यहां बहुत सारे फ्रेम सेट कर दिए गए हैं, जो ये बताते हैं कि क्या सही है और क्या नहीं। पर इन सलाह देने वालों को सुजा ... Read more
शरीर के माप से लेकर कॅरियर, शादी और बच्चे पैदा करने की उम्र तक यहां बहुत सारे फ्रेम सेट कर दिए गए हैं, जो ये बताते हैं कि क्या सही है और क्या नहीं। पर इन सलाह देने वालों को सुजाता बता रही हैं कि कैसी होती है एक आजाद औरत की निर्मिति – हेल्थशॉट्स पॉडकास्ट कड़क चाय के इस दूसरे एपिसोड में। Read more
हर दिन तो महिलाओं का है, फिर कोई एक खास दिन क्यों? क्या किसी फैशन ब्रांड की सेल या रेस्तरां पर मिलने वाली छूट का नाम है 8 मार्च? न, यह कुछ और भी है। ये उस गूंगी समझी जाने वाली ... Read more
हर दिन तो महिलाओं का है, फिर कोई एक खास दिन क्यों? क्या किसी फैशन ब्रांड की सेल या रेस्तरां पर मिलने वाली छूट का नाम है 8 मार्च? न, यह कुछ और भी है। ये उस गूंगी समझी जाने वाली गुड़िया की जीत की कहानी है, जिससे यूरोप के प्रगतिशील देशों में भी आधी तनख्वाह पर काम लिया जाता था। हमारी पुरखिनें न लड़ती तो हम आज भी दोयम दर्जे की नागरिक होतीं। हेल्थ शॉट्स हिंदी पॉडकास्ट ‘कड़क चाय’ के इस पहले एपिसोड में सोशल एक्टिविस्ट और लेखिका प्रो. सुजाता अपनी पिछली पीढ़ी के इसी संघर्ष को कर रहीं हैं बयां। Read more