ऋषि बाल्मीकि ने राम की कहानी पर आधारित एक ख़ूबसूरत काव्य की रचना की। जिसमें जीवन के सभी अलग-अलग रस थे। रिश्ते, समाज, अर्थ व्यवस्था। राजा को कैसा होना चाहिए। प्रजा को कैसा होना चाहिए। यह सारी बातें इस महाकाव्य में लिखी गयीं। उन दिनों में literature और शास्त्रों का अभ्यास एक विशेष लय और मात्रा में किया जाता था। और गुरुकुलों यानी schools में इस oral tradition को बनाये रखने की training दी जाती। पर रामायण जैसा महाकाव्य सबसे पहले किसको सिखाया जाये? कौन इसको आगे ले जाने के लिए योग्य है? आइए जानते हैं इस episode में।
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