सिद्धाश्रम पहले विष्णु के अवतार वामन का आश्रम था और अब विश्वामित्र वहाँ रहते थे। वहीं उन्हें राम से मिलने का अंतर्ज्ञान मने intuition भी हुई। इस मायने से सिद्धाश्रम उतना ही राम का था, जितना की वह ऋषि विश्वामित्र का था। माना जाता था कि इस आश्रम में किया हुआ कोई भी काम विफल नहीं जाता था। पर मारीच और सुभाहु, इन दोनों राक्षसों ने यहाँ भी ऋषियों की नाक में दम करे रखा हुआ था। इस episode में आइए पता लगतें हैं कि कैसे राम और लक्ष्मा ने उन्हें हराया, और उसके बाद वह तीनों कहाँ जाने के लिए तैयार हुए?
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