जब भरत ने ऋषि भारद्वाज की परीक्षा पर की तब ऋषि भारद्वाज ने ऋषि वशिष्ठ, भरत और उनके साथ आइये सब लोगों का स्वागत करना चाहा। उन्होनें भरत से उनके साथ आए रघुकुल के सदस्य, अयोध्या वासी, ... Read more
भरत, रघुकुल के सदस्य, अयोध्या वासी, सेना और पशु - सभी गंगा पर हुए और प्रयाग नाम के वन पहुँचे। प्रयाग में देवों के ऋषि, भरद्वाज का आश्रम था। आश्रम में प्रवेश करने से पहले भरत ने सा ... Read more
निषादराज गुहा अब ये जान गए थे कि भरत अपने परिवार और अयोध्या वासियों के साथ राम, सीता और लक्ष्मण को वन से वापस अपने राज्य लेजाने आए थे। इसलिए उन्होंने भरत को शीरंगवेरपुर में आमंत्रि ... Read more
लाखों की संख्या में अयोध्या वासी भरत के साथ राम, लक्ष्मा और सीता को वापस लाने के लिए निकले। बहुत समय बाद वह श्रृंगवेरपुर पहुँचे, जहाँ निषादराज गुहा राज करते थे। उस रात, वहाँ रुकने ... Read more
पिछले episode में हमने सुना की कैसे भरत ने अयोध्या की राज गद्दी नहीं स्वीकारी। उसके बदले में उन्होंने राम, लक्ष्मण और सीता तक पहुँचने के लिए विभिन्न तकनीकों और वास्तुकला की सहायता ... Read more
रामायण आज के लिए का एक हिस्सा है राम की कहानी सुनना और समझना। दूसरा हिस्सा है 5000 वर्ष पूर्व लिखे गए इस ऐतिहासिक ग्रंथ में बताई गयी जीवन शैली को जानना। इस episode में हम सुनेंगे क ... Read more
कैकेई ने अपने बेटे के लिए राज्य चाहा और उसके लिए रघुकुल ने बहुत बड़ी क़ीमत चुकाई। जब भरत को इस अनहोनी के बारे में पता चला तब उन्होंने अपनी माँ को डाँटा फटकारा, अपने मंत्रियों से मिलक ... Read more
अयोध्या लौटने पर भारत सबसे पहले अपने पिता के महल गए। उन्हें वहाँ न देखकर वह अपनी माँ, कैकेई के महल गए। अपनी माँ का भवन सुनसान देख भरत का मन और भी विचलित हुआ। उन्होंने घबराते हुए अप ... Read more
अयोध्या के लिए रवाना होने से पहले, केकय के राजा अश्वपति ने अपने नाती, भरत को उपहार के रूप में सोना की मोहर, हाथी, घोड़े, श्वांग, चांदी के बर्तन और भी बहुत कुछ दिया। भरत ने ये सारे उ ... Read more
अयोध्या में राजा दशरथ के अंतिम संस्कार की तैयारियाँ शुरू हो गयीं थीं। भारत और शत्रुगण को केकय से अयोध्या वापस बुलाने के लिए दूतों को भेजा गया। जिस रात वह दूत केकय की राजधानी गिरिव् ... Read more