महान ऋषि वाल्मीकि पहले एक दकैत और शिकारी हुआ करते थे। जब ऋषि नारद ने उन्हें राम का नाम लेने की सलाह दी तो वह राम कह भी नहीं सकते थे। मारा मारा मारा को दोहराते थे क्यूंकि वह सिर्फ मरना जानते थे। पर मारामारामारा दोहराते दोहराते रामा बन गया और इस ही के अभ्यास ने उन्हें विद्वान बना दिया। जब राम ने खुद, लव और कुश से रामायण की कहानी सुनी तो उन्हें लगा कि जो भी यह कहानी सुनेगा उसके मन में एक पॉजिटिविटी आ जाएगी है। उसके जीवन को एक दिशा मिलेगी है। राम ने ये तक कहा कि उनका खुदका जीवन भी सुभ और मंगलमय हो गया। इसलिए तो कहते हैं राम से बड़ा राम का नाम या राम की कथा यानि रामायण। पर क्या आज के इस युग में हमें श्रीराम जैसी मर्यादा और सिद्धांत रखने चाहिए? क्या हमें इनकी ज़रुरत है? और अगर है तो क्यों और कैसे? ये समझने के लिए tune in.
पूरी दुनिया में रामायण के कम से कम 224 versions मौजूद हैं। लेकिन original यानि मूल रामायण वाल्मीकि रामायण को ही मन जाता है, जो संस्कृत में लिखी गयी है। पर मज़े की बात तो ये है कि अस ... Read more
पूरी दुनिया में रामायण के कम से कम 224 versions मौजूद हैं। लेकिन original यानि मूल रामायण वाल्मीकि रामायण को ही मन जाता है, जो संस्कृत में लिखी गयी है। पर मज़े की बात तो ये है कि असली कहानी वाल्मीकि जी ने रची ही नहीं। ये कहानी बहुत पुरानी है। सनातन philosophy में हम समय को एक cycle की तरह नापते हैं। उसे कालचक्र कहा जाता है। माना जाता है कि काल्चक्र मे जितनी बार त्रेता युग आया उतनी बार राम ने इस पृथ्वी पर जन्म लिया और रामायण घाटी। पर ऋषि वाल्मीकि ने ये कहानी कहाँ सुनी और क्यों लिखी? रामायण इतनी universal और प्रासंगिक क्यों है? आइए जानते हैं इस episode में। Read more
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