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राम ने एक ही बाण से 14000 राक्षसों का वध कैसे किया?
राम ने एक ही बाण से 14000 राक्षसों का वध कैसे किया?
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Available Episodes

EPISODE 71

भरत, रघुकुल के सदस्य, अयोध्या वासी, सेना और पशु - सभी गंगा पर हुए और प्रयाग नाम के वन पहुँचे। प्रयाग में देवों के ऋषि, भरद्वाज का आश्रम था। आश्रम में प्रवेश करने से पहले भरत ने सा ... Read more

भरत, रघुकुल के सदस्य, अयोध्या वासी, सेना और पशु - सभी गंगा पर हुए और प्रयाग नाम के वन पहुँचे। प्रयाग में देवों के ऋषि, भरद्वाज का आश्रम था। आश्रम में प्रवेश करने से पहले भरत ने सादे कपड़े पहने। फिर अपनी सेना के कुछ ही लोगों के साथ ऋषि वशिष्ठ के पीछे पीछे चल पड़े। उन्हें देखकर ऋषि भरद्वाज बहुत खुश हुए। उन्होंने ने वशिष्ठ को गले से लगाया। वह राजा दशरथ के निधन के बारे में जानतें थे इसलिए उन्होंने दशरथ के बारे में कुछ नहीं पुछा। फिर भरत ने राम के बारे में जानना चाहा। पर राम के बारे में कुछ भी बताने से पहले, ऋषि भरद्वाज भरत से कुछ पूछना चाहते थे। उन्होंने भरत से क्या पुछा? और भरत को उनकी बात का बुरा क्यों लगा? आए जानतें हैं इस episode में। Read more

EPISODE 70

निषादराज गुहा अब ये जान गए थे कि भरत अपने परिवार और अयोध्या वासियों के साथ राम, सीता और लक्ष्मण को वन से वापस अपने राज्य लेजाने आए थे। इसलिए उन्होंने भरत को शीरंगवेरपुर में आमंत्रि ... Read more

निषादराज गुहा अब ये जान गए थे कि भरत अपने परिवार और अयोध्या वासियों के साथ राम, सीता और लक्ष्मण को वन से वापस अपने राज्य लेजाने आए थे। इसलिए उन्होंने भरत को शीरंगवेरपुर में आमंत्रित किया, उनकी देखभाल करी और उनकी मद्दत करने का निर्णय लिया। भरत के प्रवास के दौरान गुहा ने उन्हें लक्ष्मण की कही क्या बातें बताईं? और राम के बारे में गुहा की कही किस बात को सुनकर भरत की हिम्मत टूट गयी? आए सुनतें हैं रामायण आज के लिए के इस episode में। Read more

EPISODE 69

लाखों की संख्या में अयोध्या वासी भरत के साथ राम, लक्ष्मा और सीता को वापस लाने के लिए निकले। बहुत समय बाद वह श्रृंगवेरपुर पहुँचे, जहाँ निषादराज गुहा राज करते थे। उस रात, वहाँ रुकने ... Read more

लाखों की संख्या में अयोध्या वासी भरत के साथ राम, लक्ष्मा और सीता को वापस लाने के लिए निकले। बहुत समय बाद वह श्रृंगवेरपुर पहुँचे, जहाँ निषादराज गुहा राज करते थे। उस रात, वहाँ रुकने का निर्णय लिया गया। गुहा और उनके साथी वन में छुपकर सभी देख रहे थे। गुहा ये समझना चाहते थे की भरत का राम के प्रति क्या इरादा है। इसलिए वह अपनी सेना को तैनात करके भरत और शत्रुघ्न से मिलने निकले। जब गुहा ने भरत से पुछा कि राम के प्रति उनके मन में कोई शत्रुता तो नहीं तब भरत ने क्या उत्तर दिया? और निषादराज गुहा ने भरत की मद्दत करना क्यों उचित समझा आइए जानतें हैं इस episode में। Read more

EPISODE 68

पिछले episode में हमने सुना की कैसे भरत ने अयोध्या की राज गद्दी नहीं स्वीकारी। उसके बदले में उन्होंने राम, लक्ष्मण और सीता तक पहुँचने के लिए विभिन्न तकनीकों और वास्तुकला की सहायता ... Read more

पिछले episode में हमने सुना की कैसे भरत ने अयोध्या की राज गद्दी नहीं स्वीकारी। उसके बदले में उन्होंने राम, लक्ष्मण और सीता तक पहुँचने के लिए विभिन्न तकनीकों और वास्तुकला की सहायता से वन में सबके जाने का प्रबंध किया। भरत की इन गतिविधियों से यह सिद्ध था कि वह युवा, शक्तिशाली और होनहार थे। वह निष्पक्ष थे और केवल अपना धर्म ही नहीं समझते थे पर प्रजा की भावनाओं को भी ध्यान में रखते थे। वह हर प्रकार से एक योग्य leader या नेता थे। और इसलिए अब ऋषि वशिष्ठ भरत को राजा बनाना चाहते थे। जब उन्होंने अपनी इच्छा व्यक्त की तब भरत ने क्या उत्तर दिया आइए जानतें हैं इस episode में। Read more

EPISODE 67

रामायण आज के लिए का एक हिस्सा है राम की कहानी सुनना और समझना। दूसरा हिस्सा है 5000 वर्ष पूर्व लिखे गए इस ऐतिहासिक ग्रंथ में बताई गयी जीवन शैली को जानना। इस episode में हम सुनेंगे क ... Read more

रामायण आज के लिए का एक हिस्सा है राम की कहानी सुनना और समझना। दूसरा हिस्सा है 5000 वर्ष पूर्व लिखे गए इस ऐतिहासिक ग्रंथ में बताई गयी जीवन शैली को जानना। इस episode में हम सुनेंगे कि किस प्रकार की तकनीकों और architecture यानी वास्तुकला की सहायता से भरत ने रघुकुल के सदस्यों, अपनी सेना और अयोध्या वासियों के लिए राम, लक्ष्मण और सीता तक पहुँचने का प्रबंध किया। Read more

EPISODE 66

कैकेई ने अपने बेटे के लिए राज्य चाहा और उसके लिए रघुकुल ने बहुत बड़ी क़ीमत चुकाई। जब भरत को इस अनहोनी के बारे में पता चला तब उन्होंने अपनी माँ को डाँटा फटकारा, अपने मंत्रियों से मिलक ... Read more

कैकेई ने अपने बेटे के लिए राज्य चाहा और उसके लिए रघुकुल ने बहुत बड़ी क़ीमत चुकाई। जब भरत को इस अनहोनी के बारे में पता चला तब उन्होंने अपनी माँ को डाँटा फटकारा, अपने मंत्रियों से मिलकर ये स्पष्ट किया कि वह अपनी माँ के रचाये षड़यंत्र से अज्ञात थे। फिर उन्होंने माँ कौशल्या से क्षमा माँगी। दशरथ का अंतिम संस्कार करने के बाद पीढ़ित भरत अपने राज गुरु वशिष्ठ और मंत्रियों से दुबारा मिले ताकि वह कैकेई की गलतियों को सुधार सकें। कैसे? आइए जानतें हैं रामायण आज के लिए के इस episode में। Read more

EPISODE 65

अयोध्या लौटने पर भारत सबसे पहले अपने पिता के महल गए। उन्हें वहाँ न देखकर वह अपनी माँ, कैकेई के महल गए। अपनी माँ का भवन सुनसान देख भरत का मन और भी विचलित हुआ। उन्होंने घबराते हुए अप ... Read more

अयोध्या लौटने पर भारत सबसे पहले अपने पिता के महल गए। उन्हें वहाँ न देखकर वह अपनी माँ, कैकेई के महल गए। अपनी माँ का भवन सुनसान देख भरत का मन और भी विचलित हुआ। उन्होंने घबराते हुए अपनी माँ से सबका हाल चाल पुछा। कैकेई ने भारत को जवाब में क्या कहा? उन्होंने राम, लक्ष्मण और सीता के वनवास जाने की सूचना भरत को कैसे बताई? और किस प्रकार कैकेई ने भरत को दशरथ की मिर्त्यु और उनके उत्तराधिकार के बारे में बताया कि अब भरत ही अयोध्या के राजा बनेंगे? आइए सुनतें है रामायण आज के लिए के इस episode में। Read more

EPISODE 64

अयोध्या के लिए रवाना होने से पहले, केकय के राजा अश्वपति ने अपने नाती, भरत को उपहार के रूप में सोना की मोहर, हाथी, घोड़े, श्वांग, चांदी के बर्तन और भी बहुत कुछ दिया। भरत ने ये सारे उ ... Read more

अयोध्या के लिए रवाना होने से पहले, केकय के राजा अश्वपति ने अपने नाती, भरत को उपहार के रूप में सोना की मोहर, हाथी, घोड़े, श्वांग, चांदी के बर्तन और भी बहुत कुछ दिया। भरत ने ये सारे उपहार स्वीकारे पर दशरथ के बारे में देखा सपना उन्हें अभी भी परेशान कर रहा था। वह अपने परिवार - दशरथ, कौशल्या, सुमित्रा, राम, लक्ष्मण, सीता - के लिए चिंतित थे। और यही सब सोचते सोचते वह अपनी सेना के साथ अयोध्या के लिए निकल पढ़े। पर जब भारत अपनी मातृभूमि पहुंचे तो उन्होंने क्या देखा? आइए जानतें हैं इस episode में। Read more

EPISODE 63

अयोध्या में राजा दशरथ के अंतिम संस्कार की तैयारियाँ शुरू हो गयीं थीं। भारत और शत्रुगण को केकय से अयोध्या वापस बुलाने के लिए दूतों को भेजा गया। जिस रात वह दूत केकय की राजधानी गिरिव् ... Read more

अयोध्या में राजा दशरथ के अंतिम संस्कार की तैयारियाँ शुरू हो गयीं थीं। भारत और शत्रुगण को केकय से अयोध्या वापस बुलाने के लिए दूतों को भेजा गया। जिस रात वह दूत केकय की राजधानी गिरिव्रज पहुंचे, उस ही रात भरत को एक बड़ा ही अप्रिय सपना दिखाई दिया। वह सपना क्या था? भरत को कुश करने की लाख कोशिशों के बाद भी वह सपना क्यों नहीं भुला पा रहे थे? और उनके अनुसार यह स्वप्न किस प्रकार की अनहोनी का संकेत था? आइए जानतें हैं रामायण आज के लिए के इस episode में। Read more

EPISODE 62

रघुवंश के राजा दशरथ अपने पुत्र राम का वियोग सेहेन न करने की वजह से अपने प्राण त्याग देतें हैं। शोख की आवाज़ें सुनकर उनकी रानियों को होश आता है। कौशल्या अपने पति का सर अपनी गोद में र ... Read more

रघुवंश के राजा दशरथ अपने पुत्र राम का वियोग सेहेन न करने की वजह से अपने प्राण त्याग देतें हैं। शोख की आवाज़ें सुनकर उनकी रानियों को होश आता है। कौशल्या अपने पति का सर अपनी गोद में रखकर रोने लगती हैं और रानी कैकेई को खुलकर कोसतीं हैं। वहीं राज्य के गुरुजन और मंत्री भरत और शत्रुगण के आने तक दशरथ के पार्थिव शरीर को तेल से भरे गरत में रखने का प्रयोजन करते हैं और उन भाइयों को उनके पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए अपने ननिहाल, केकय, से वापस बुलाने का संदेसा भेजतें हैं। इस सबके बीच ऋषि वशिष्ठ अच्छे नेतृत्व की कमी पर क्या सीख देतें हैं आइए जानतें हैं इस episode में। Read more

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