कुंभजा यानी hunchbacked मंथरा (जैसे वह वलिमिक रामायण में जानी जातीं थीं) भागी-भागी कैकेई के पास पहुँची। उन्होंने कैकेई को बेरूखी से उठाया और राम के राज्याभिषेक के बारे में बताया। जो मंथरा अपने आप को कैकेई की शुभचिंतक मानती थी, उन्हीं ने धीरे-धीरे कैकई के मन में राम के प्रति विष भरदिया। पर इतनी बड़ी क्षत्राणी होने के बावजूद, कैकई, अनपे पुत्र-प्रेम में अंधी होकर, मंथरा की छोटी सोच से कैसे प्रभावित हुईं? आइए सुनतें हैं इस episode में।
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