रघुवंश के राजा दशरथ अपने पुत्र राम का वियोग सेहेन न करने की वजह से अपने प्राण त्याग देतें हैं। शोख की आवाज़ें सुनकर उनकी रानियों को होश आता है। कौशल्या अपने पति का सर अपनी गोद में रखकर रोने लगती हैं और रानी कैकेई को खुलकर कोसतीं हैं। वहीं राज्य के गुरुजन और मंत्री भरत और शत्रुगण के आने तक दशरथ के पार्थिव शरीर को तेल से भरे गरत में रखने का प्रयोजन करते हैं और उन भाइयों को उनके पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए अपने ननिहाल, केकय, से वापस बुलाने का संदेसा भेजतें हैं। इस सबके बीच ऋषि वशिष्ठ अच्छे नेतृत्व की कमी पर क्या सीख देतें हैं आइए जानतें हैं इस episode में।
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