राज्य की पूछताछ करने के बाद, राम ने भरत से पुछा की वह राजकीय भेस छोड़कर वनवासियों के भेस में उनसे मिलने क्यों आए हैं। जवाब में भारत ने अपनी माँ कैकेई के किए पर शर्मिंदगी जताई। उन्होंने इस बात को भी स्वीकारा कि वह अयोध्या के सिंघासन पर नहीं बैठना चाहते और उन्हें शासन करने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। साथ ही नियमों और आयु के अनुसार राम ही राजा बनने के योग्य थे। ऐसा कहकर भरत ने राम से अयोध्या वापस चलकर अपना स्थान लेने की विनती करी। फिर उन्होंने राम को ऐसी बात बताई की राम के पैरों तले ज़मीन निकल गयी। वह बात क्या थी और उसका राम पर क्या प्रभाव पढ़ा? आइए जानतें हैं इस episode में।
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