भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का अहम स्थान है यह एक मात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जिसमें शिव-पार्वती दोंनो एक साथ स्थापित हैं। आंध्रप्रदेश के कुरनूल म ... Read more
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का अहम स्थान है यह एक मात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जिसमें शिव-पार्वती दोंनो एक साथ स्थापित हैं। आंध्रप्रदेश के कुरनूल में ब्रह्मगिरी पर्वत पर जिसे दक्षिण का कैलाश भी मानते हैं यहां कृष्ना नदी के तट पर स्थित इस ज्योतिर्लिंग में आज भी हर रोज महादेव और माता पार्वती का विवाह कराया जाता है। यहां मल्लिका मां पार्वती को और अर्जुन भगवान शिव को कहते हैं। इसी मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के प्रांगण में स्थित है श्रीशैलम शक्तिपीठ। जहां माता सती की ग्रीवा यानी गर्दन या neck का निपात हुआ था। Read more
अमरनाथ गुफा में महादेव ने मां पार्वती को परम ज्ञान दिया था। जिससे उनके मनुष्यत्व का नाश हुआ , फिर उन्होंने इसी स्थान पर घोर तप किया महामाया रूप को प्राप्त हुई। इस तत्वज्ञान को 'अमर ... Read more
अमरनाथ गुफा में महादेव ने मां पार्वती को परम ज्ञान दिया था। जिससे उनके मनुष्यत्व का नाश हुआ , फिर उन्होंने इसी स्थान पर घोर तप किया महामाया रूप को प्राप्त हुई। इस तत्वज्ञान को 'अमरकथा' के नाम से जाना जाता है इसीलिए इस स्थान का नाम 'अमरनाथ' पड़ा। पवित्र अमरनाथ गुफा में ही स्थित है महामाया शक्तिपीठ यहाँ माता के कण्ठ का निपात हुआ था। यहाँ की शक्ति है ‘महामाया’ तथा भैरव यानी शिव को ‘त्रिसन्ध्येश्वर’ कहा जाता है। हर साल स्थानीय सरकार शिव भक्तों के लिए वार्षिक अमरनाथ यात्रा की व्यवस्था करती है। यात्रा मुख्य रूप से जून से अगस्त तक आयोजित की जाती है। Read more
नासिक में सप्तशृंगी पहाड़ियों से घिरा हुआ वो पवित्र स्थान जहां दुर्गा सप्तशती कही गई और जहां महिषासुर राक्षस के विनाश के लिए सभी देवी-देवताओं ने मां की आराधना की थी तभी देवी मां 1 ... Read more
नासिक में सप्तशृंगी पहाड़ियों से घिरा हुआ वो पवित्र स्थान जहां दुर्गा सप्तशती कही गई और जहां महिषासुर राक्षस के विनाश के लिए सभी देवी-देवताओं ने मां की आराधना की थी तभी देवी मां 18 भुजाओ वाली सप्तश्रृंगी अवतार में प्रकट हुईं। आज दर्शन करेंगे पवित्रतम स्थान के जहां माता के परम भक्त मार्कण्डेय ऋषि का आश्रम था। जिन्होंने ब्रह्मा जी के साथ इसी स्थान पर सप्तशती कही। आपने हमेशा सुना होगा की देवी की अष्ट भुजाएं है इसलिए उन्हें अष्टभुजी कहा जाता है। यहां दर्शन करेंगे विश्व भर में एक मात्र स्वयं भू 18 भुजी देवी के। यहाँ की शक्ति हैं भ्रामरी और भैरव विकृताक्ष हैं। मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर देवी मां की ठुड़डी यानी chin का नीपात हुआ था। Read more
दक्षिण की गंगा कही जाने वाली गोदावरी नदी के तट पर कोटिलिंगेश्वर मंदिर में स्थित है सर्वशैल शक्तिपीठ जिसे गोदावरी तीर शक्तिपीठ भी कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार यहां माता सती का व ... Read more
दक्षिण की गंगा कही जाने वाली गोदावरी नदी के तट पर कोटिलिंगेश्वर मंदिर में स्थित है सर्वशैल शक्तिपीठ जिसे गोदावरी तीर शक्तिपीठ भी कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार यहां माता सती का वाम गंड (गाल) गिरे थे। यहां की शक्ति है विश्वेश्वरी जिन्हे राकिनी, या विश्वमातुका भी कहते है और शिव या भैरव को वत्सनाभम और दण्डपाणि के नाम से जाना जाता है। ये एक मात्र ऐसा स्थान है जहां गोदावरी नदी में स्थान करने और दर्शन कर प्रायश्चित करने से गौहत्या तक के पाप से मुक्ति मिल जाती है। Read more
नेपाल में माता सती के दाएं गंड यानी गाल गिरने से बना गंडकी शक्तिपीठ जो इस सृष्टि के प्राचीनतम और सबसे ऊंचे मंदिरों में से एक है। यहाँ की शक्ति है 'गण्डकी चंडिका' तथा शिव यानी भैरव ... Read more
नेपाल में माता सती के दाएं गंड यानी गाल गिरने से बना गंडकी शक्तिपीठ जो इस सृष्टि के प्राचीनतम और सबसे ऊंचे मंदिरों में से एक है। यहाँ की शक्ति है 'गण्डकी चंडिका' तथा शिव यानी भैरव को 'चक्रपाणि' कहा जाता हैं। ये वो पवित्रतम स्थान है जहाँ स्वयं भगवान विष्णु को सती वृंदा के श्राप से मुक्ति मिली। और वो स्वयं यहाँ मुक्तिनाथ के नाम से स्थित हो गए और इस तरह ये स्थान मुक्तिधाम बन गया। यही मुक्तिधाम से निकली पवित्र गंडक नदी जो गंगा की सप्तधारा में से एक है, कहते हैं की जब कलयुग में गंगा नदी नही रहेगी तब गंडकी नदी ही सबका भरण पोषण करेगी। इसी लिए पुराणों में इसे सदानीर नाम भी दिया गया। इस नदी के पत्थर से ही अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की मुख्य मूर्ति बनाई जा रही है। मूर्ति के लिए इस नदी का पत्थर ही क्यों? जानिये इसका पूरा रहस्य इस एपिसोड में। Read more
माता ज्वाला देवी के दरबार में राजा अकबर ने भी शीश झुकाया. कहा जाता है कि ज्वाला माँ की लौ को बुझाने के लिए उसने लौहे के भारी तवे का इस्तेमाल किया यहां तक कि नहर को ही मोड़ दिया था ... Read more
माता ज्वाला देवी के दरबार में राजा अकबर ने भी शीश झुकाया. कहा जाता है कि ज्वाला माँ की लौ को बुझाने के लिए उसने लौहे के भारी तवे का इस्तेमाल किया यहां तक कि नहर को ही मोड़ दिया था फलस्वरूप माँ ने अपने चमत्कार से अकबर का घमंड तोड़ उसे अपनी शरण में लिया. तब भक्तिभाव से अकबर ने माँ ज्वाला को सोने का छत्र चढ़ाया जिसे माँ ने अपनी ज्वाला से किसी अन्य धातु में परिवर्तित कर दिया. उस धातु को वैज्ञानिक भी नहीं पता लगा पाए. कई सालो से माँ की चमत्कारिक लौ की ऊर्जा जानने के लिए आज भी जमीन के नीचे वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं. लेकिन आज ताक ऊर्जा का कोई स्त्रोत नहीं मिल पाया. हिमाचल की कांगड़ा घाटी में स्थित यह मंदिर कांगड़ा माई के नाम से भी जाना जाता है पूरी कहानी सुनिए इस एपिसोड में. Read more
महादेव की नगरी काशी अद्भुत रहस्यो से भरी हुई है काशी में जब शाम ढल जाती है और गंगा आरती के बाद चांद निकलता है तब वाराही माता का दिन शुरू होता है। वाराही रात्रि की देवी हैं इसलिए उन ... Read more
महादेव की नगरी काशी अद्भुत रहस्यो से भरी हुई है काशी में जब शाम ढल जाती है और गंगा आरती के बाद चांद निकलता है तब वाराही माता का दिन शुरू होता है। वाराही रात्रि की देवी हैं इसलिए उन्हें धूम्र वाराही और धूमावती के नाम से भी जाना जाता है। माँ धूमावती १० महाविद्याओं में आती है जिनकी महत्वता तंत्र साधना में है इनकी साधना माघ में आने वाले गुप्त नवरात्री में रात्रि में करते है। कहते हैं कि माता सती का जब दांत काशी में गिरा तो उससे माता वाराही उत्पन्न हुईं। इस एपिसोड में हम जानेंगे काशी की क्षेत्र पालिका माता वाराही के धाम जिसे पंचसागर शक्तिपीठ भी कहते है। इस मंदिर में तमाम ग्रह नक्षत्र मां की पूजा अर्चना के लिए यहां आते हैं। इसी तरह संध्याकाल में भूत, प्रेत, पिशाच, जिन्नात, यक्ष और यक्षिणी यहां हाजिरी लगाते हैं। उस वक्त गलती से भी मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहिए। जिन लोगो ऐसा करने का प्रयास किया उनके साथ अहित हुआ। Read more
मिलनाडु का कन्याकुमारी नगर में देवी आदिशक्ति आज भी अवावहित कन्या रूप में तपस्या रत है। इसलिए दक्षिण भारत के इस स्थान का नाम कन्या कुमारी पड़ा। यही पर स्थित है सुचिंद्रम शक्तिपीठ जिस ... Read more
मिलनाडु का कन्याकुमारी नगर में देवी आदिशक्ति आज भी अवावहित कन्या रूप में तपस्या रत है। इसलिए दक्षिण भारत के इस स्थान का नाम कन्या कुमारी पड़ा। यही पर स्थित है सुचिंद्रम शक्तिपीठ जिसे शुचितीर्थम, शुचिदेश या नारायणी शक्तिपीठ आदि नामो से भी जाना जाता है। जहां पर माता सती के ऊपरी दंत (ऊर्ध्वदंत) गिरे थे। इसकी शक्ति है नारायणी और भैरव को संहार या संकूर कहते हैं। साथ ही आपने रामायण में माता अहिल्या के मूर्ति रूप की कथा सुनी होगी और माता अनुसुइया की कथा भी सुनी होगी। इस एपिसोड में सुनिए की कैसे ये कहानियां भी इस स्थान से जुड़ी है। Read more
इस एपिसोड में हम चलेंगे प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पश्चिम बंगाल के बीरभूम जनपद के लाबपुर के अट्टहास गांव में जहां स्थित है अट्टहास शक्तिपीठ। मान्यता अनुसार यहां देवी का निचला होंठ ... Read more
इस एपिसोड में हम चलेंगे प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पश्चिम बंगाल के बीरभूम जनपद के लाबपुर के अट्टहास गांव में जहां स्थित है अट्टहास शक्तिपीठ। मान्यता अनुसार यहां देवी का निचला होंठ गिरा था। यहां की शक्ति है फुल्लारा देवी और भैरव भगवान विश्वेश्वर के रूप में पूजे जाते हैं। मंदिर के बगल में आज भी एक बड़ा तालाब है। यहाँ देवी पार्वती की 2 प्रतिमा हैं। एक है भवानी, और दूसरी हैं देवी सती की है। वैसे तो ये मंदिर सतयुग से स्थापित है परंतु जीर्णोधार के बाद भी इसे 5000 वर्ष पुराना माना जाता है। Read more
मध्य प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर से 1 घंटे की दूरी पर स्थित महाकाल की पावन नगरी उज्जैन, जहां ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर मंदिर के पीछे पश्चिम दिशा में हरसिद्धि माता का मंदिर स् ... Read more
मध्य प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर से 1 घंटे की दूरी पर स्थित महाकाल की पावन नगरी उज्जैन, जहां ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर मंदिर के पीछे पश्चिम दिशा में हरसिद्धि माता का मंदिर स्थित है। यहां माता सती के दो अंग विपरीत पहाड़ी पर आमने-सामने गिरे थे, जहां माता की कोहनी गिरी थी, उसे हरसिद्धि शक्तिपीठ कहा गया, जो राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी भी हैं और जहां उनका ऊपर का गिरा, उसे गढ़कालिका माता नाम दिया गया। उज्जैन में ही भैरव पहाड़ी पर भैरवगढ़ में भैरवनाथ विराजमान हैं, जो स्वयं शराब पीते हैं। इस एपिसोड में सुनिए पूरी कहानी। Read more