मोक्षदायनी धरा वाराणसी की अलौकिकता को अनुभव करना एक अद्भुत एहसास है. यहाँ पर माता सती की कर्ण मणि गिरी थी जिससे मणिकर्णिका शक्तिपीठ यानि विशालाक्षी शक्तिपीठ की स्थापना हुई. उसी के साथ मणिकर्णिका घाट की उतपत्ति भी हुई. इसी घाट पर भगवान शिव ने माता सती के शव का अंतिम संस्कार किया था जिससे ये मोक्षदायनी धरा के साथ महाशमशान के नाम से विख्यात हुई. महादेव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से काशीविश्वनाथ महादेव, कोतवाल काल भैरव के साथ काशी में विराजते है. माना जाता है कि हर रात्रि भोलेनाथ विश्राम करने माँ विशालाक्षी शक्तिपीठ जाते है. इस एपिसोड में विस्तार से सुनिए कहानी.
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