दुर्गा सप्तशती में ही भगवान शिव ने समस्त विश्व के कल्याण के लिए सिद्ध कुंजिका स्त्रोत्र का रहस्य बताया। इस एपिसोड में सुनिए की काली देवी ने चंड मुंड का वध किस स्थान पर किया था और ... Read more
दुर्गा सप्तशती में ही भगवान शिव ने समस्त विश्व के कल्याण के लिए सिद्ध कुंजिका स्त्रोत्र का रहस्य बताया। इस एपिसोड में सुनिए की काली देवी ने चंड मुंड का वध किस स्थान पर किया था और किस लिए वे चामुंडेश्वरी शक्तिपीठ से विख्यात हुई Read more
मोक्षदायनी धरा वाराणसी की अलौकिकता को अनुभव करना एक अद्भुत एहसास है. यहाँ पर माता सती की कर्ण मणि गिरी थी जिससे मणिकर्णिका शक्तिपीठ यानि विशालाक्षी शक्तिपीठ की स्थापना हुई. उसी के ... Read more
मोक्षदायनी धरा वाराणसी की अलौकिकता को अनुभव करना एक अद्भुत एहसास है. यहाँ पर माता सती की कर्ण मणि गिरी थी जिससे मणिकर्णिका शक्तिपीठ यानि विशालाक्षी शक्तिपीठ की स्थापना हुई. उसी के साथ मणिकर्णिका घाट की उतपत्ति भी हुई. इसी घाट पर भगवान शिव ने माता सती के शव का अंतिम संस्कार किया था जिससे ये मोक्षदायनी धरा के साथ महाशमशान के नाम से विख्यात हुई. महादेव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से काशीविश्वनाथ महादेव, कोतवाल काल भैरव के साथ काशी में विराजते है. माना जाता है कि हर रात्रि भोलेनाथ विश्राम करने माँ विशालाक्षी शक्तिपीठ जाते है. इस एपिसोड में विस्तार से सुनिए कहानी. Read more
बांग्लादेश के शिकारपुर में बरिसल या बरीसाल से उत्तर में 21 किमी दूर शिकारपुर नामक गांव में सुनंदा नदी (सोंध) के किनारे स्थित है मां सुगंधा, जहां सती माता की नासिका गिरी थी। इसकी शक ... Read more
बांग्लादेश के शिकारपुर में बरिसल या बरीसाल से उत्तर में 21 किमी दूर शिकारपुर नामक गांव में सुनंदा नदी (सोंध) के किनारे स्थित है मां सुगंधा, जहां सती माता की नासिका गिरी थी। इसकी शक्ति है सुनंदा और भैरव या शिव को त्र्यंबक कहते हैं। यहां का मंदिर उग्रतारा के नाम से विख्यात है। उग्रतारा सुगंदा देवी के पास तलवार, खेकड़ा, नीलपाद, और नरमुंड की माला है। सदियों से इस स्थान पर होने वाली साधनाओं के कारण यहां कदम रखते ही शरीर और मन में शक्ति का संचार होता है। Read more
हिमाचल प्रदेश की शिवालिक पर्वत श्रेणी की पहाड़ियों पर चंडीगढ़ से लगभग 104 किलोमीटर की दूरी पर बिलासपुर जिले में पहाड़ी पर स्थित है नैना देवी शक्तिपीठ जहां माता सती के दोनों नेत्रों ... Read more
हिमाचल प्रदेश की शिवालिक पर्वत श्रेणी की पहाड़ियों पर चंडीगढ़ से लगभग 104 किलोमीटर की दूरी पर बिलासपुर जिले में पहाड़ी पर स्थित है नैना देवी शक्तिपीठ जहां माता सती के दोनों नेत्रों का निपात हुआ था लेकिन कुछ लोगों का ये मानना है कि उनके नेत्रों का निपात नैनी देवी मंदिर में हुआ था जो भारत के उत्तराखंड राज्य के नैनीताल शहर में नैनी झील के उत्तरी छोर पर स्थित है और उन्हीं के नाम से इस स्थान का नाम नैनीताल पड़ा. इस एपिसोड में सुनिए नैना देवी मंदिर की महिमा और उनकी मान्यताएं. Read more
क्या आप जानते है कि महालक्ष्मी के पीछे-पीछे स्वयं नारायण को भी धरती पर आकर तिरुपति में स्थापित होना पड़ा. कहते है, इस स्थान के दर्शन किए बिना तिरुपतिबाला जी के दर्शन पूर्ण नहीं होत ... Read more
क्या आप जानते है कि महालक्ष्मी के पीछे-पीछे स्वयं नारायण को भी धरती पर आकर तिरुपति में स्थापित होना पड़ा. कहते है, इस स्थान के दर्शन किए बिना तिरुपतिबाला जी के दर्शन पूर्ण नहीं होते. इस एपिसोड में हम तंत्र चूड़ामणी, स्कन्द पुराण व देवी गीता में उल्लेखित कोल्हापुर में स्थित करवीर शक्तिपीठ को विस्तार से जानेंगे. यहां की जगदम्बा को ‘करवीरसुवासिनी’ या ‘कोलापुरनिवासिनी’ भी कहा जाता है. महाराष्ट्र में इन्हें ‘अम्बाबाई’ माता भी कहते हैं. Read more
माता सती के इस शक्तिपीठ के दर्शन करने से संतान प्राप्ति की इच्छा पूर्ण होती है लेकिन इसके लिए करना होगा मंदिर में अपराध पूरी कहानी जानने के लिए सुनिए इस एपिसोड को. Read more
माता सती के इस शक्तिपीठ के दर्शन करने से संतान प्राप्ति की इच्छा पूर्ण होती है लेकिन इसके लिए करना होगा मंदिर में अपराध पूरी कहानी जानने के लिए सुनिए इस एपिसोड को. Read more
क्या आप जानते है श्रीकृष्ण की कुल देवी कौन थी?श्रीकृष्ण किसकी उपासना करते थे? कंस वध से पहले उन्होंने किनसे आशीर्वाद प्राप्त किया? राधा रानी और गोपिकाओ ने श्री कृष्ण को किससे मांगा ... Read more
क्या आप जानते है श्रीकृष्ण की कुल देवी कौन थी?श्रीकृष्ण किसकी उपासना करते थे? कंस वध से पहले उन्होंने किनसे आशीर्वाद प्राप्त किया? राधा रानी और गोपिकाओ ने श्री कृष्ण को किससे मांगा था ? कहते हैं यहां उपासना करने से मन चाहे जीवन साथी का वरदान प्राप्त होता है। ये स्थान चमत्कारी है। मथुरा- वृन्दावन सुन मन कृष्णा भक्ति में डूब कर कुञ्ज गलियों में गुम हो जाने को कहता है. यहां कण-कण में राधाकृष्णा का वास है. लेकिन, क्या आप जानते है कि सतयुग में इसी नगरी में महादेव की पत्नी सती के शव के केश धरती में समाहे थे. जो कात्यायनी शक्तिपीठ के रूप में आज भी विद्यमान है. जहां माँ भैरव भूतेश और सिद्ध गणेश के साथ आज भी वास करती है. इस एपिसोड में सुनिए माँ कात्यायनी के दर्शन और व्रत की महिमा. Read more
महिषमर्दिनी शक्तिपीठ के नाम से विख्यात वक्रेश्वर शक्तिपीठ की महिमा अलौकिक है. यहां माँ सती की प्रतिमा महिषासुर का वध करते हुए दर्शायी गयी है. यहां पर वक्रेश्वर शक्तिपीठ के साथ ही भ ... Read more
महिषमर्दिनी शक्तिपीठ के नाम से विख्यात वक्रेश्वर शक्तिपीठ की महिमा अलौकिक है. यहां माँ सती की प्रतिमा महिषासुर का वध करते हुए दर्शायी गयी है. यहां पर वक्रेश्वर शक्तिपीठ के साथ ही भगवान शिव का वक्रेश्वर नाथ मन्दिर भी है. इस जगह पर पानी के स्वनिर्मित 10 कुंड है. जिनका तापमान खोलते हुए से लेकर जमा देने वाले ठन्डे जैसा है. इस एपिसोड में सुनिए पश्चिम बंगाल के सिउरी के बीरभूम जनपद के पाप हरा नदी के तट पर स्थित माता के मस्तिष्क के पिंडी रूप की कहानी. Read more
देव भूमि उत्तराखंड में माता सती का सिर गिरा था जिस स्थान पर उनके सर ने पिंड रूप धारण किया उसे सुरकंडा देवी शक्तिपीठ कहा गय। सुरकंडा देवी की पहाड़ी से बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री ... Read more
देव भूमि उत्तराखंड में माता सती का सिर गिरा था जिस स्थान पर उनके सर ने पिंड रूप धारण किया उसे सुरकंडा देवी शक्तिपीठ कहा गय। सुरकंडा देवी की पहाड़ी से बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री अर्थात चारों धाम की पहाड़ियां दिखाई देती है. गंगा दशहरा और नवरात्रि के मौके पर यहां दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और गंगा दशहरा के अवसर पर सुरकंडा माँ की डोली निकलती है जिसके दर्शन हेतु अनेकों लोग इकठ्ठे होते है। इस एपीसोड में सुनिए माता के प्रसिद्ध 51 शक्तिपीठों में से इस अंग के दर्शनों की महिमा का महत्त्व। Read more
51 शक्तिपीठ के पहले पीठ में हम जानेंगे माता हिंगुला के बारे में, जिसे हिन्दू भक्त माता रानी और मुस्लिम भक्त नानी कहते है. पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हिंगोल नदी के किनारे हि ... Read more
51 शक्तिपीठ के पहले पीठ में हम जानेंगे माता हिंगुला के बारे में, जिसे हिन्दू भक्त माता रानी और मुस्लिम भक्त नानी कहते है. पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हिंगोल नदी के किनारे हिंगलाज नामक पहाड़ी पर बसे हिंगलाज माता के मंदिर में सती माता का 'ब्रह्मरंध्र' गिरा था. यहां उपासना से मनुष्य का भी ब्रह्मरंध्र जाग्रत होता है. जिससे वो जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्त हो मोक्ष की ओर जाता है. इस एपिसोड में सुनिए माता हिंगुला देवी की महिमा और यात्रा के बारे में. साथ ही जानिए की यहां भगवान राम ने क्यूँ तपस्या की थी. Read more