छुक-छुक गाड़ी की खिड़कियों से हाथ निकलकर खूबसूरत नज़ारो, बारिश की बूंदो और इंजन को मुड़ता देखने की कोशिश किसने नहीं की है. 1853 में पहली बार बॉम्बे से ठाणे के बीच चली हमारी रेलगाड़ी आज बूढ़ी नहीं बल्कि और भी तेज़ और आधुनिक हो गयी है. दुनिया के सबसे बड़े नेटवर्क में से भारत की जीवन रेखा भारतीय रेल की कहानी इस एपिसोड में।
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