गुस्सा सबको आता है, बस उससे निपटने का ढंग हरेक का अलग होता है। कुछ गुस्से को काबू करना जानते हैं तो कुछ को गुस्सा अपने काबू में कर लेता है। गुस्सा नुकसान उन्हें ही पहुंचाता है, जो ... Read more
गुस्सा सबको आता है, बस उससे निपटने का ढंग हरेक का अलग होता है। कुछ गुस्से को काबू करना जानते हैं तो कुछ को गुस्सा अपने काबू में कर लेता है। गुस्सा नुकसान उन्हें ही पहुंचाता है, जो गुस्से के इशारे पर चलने लगते हैं। गुस्सा आना हमेशा बुरा नहीं होता, तेरी मेरी बात में आज इसी पर बात Read more
मन का एक ही ढर्रे पर दौड़ते रह जाना, हमें कहीं पहुंचाता भी नहीं है और थका भी देता है। मन जब ढलना नहीं जानता, तब हम ढहने लगते हैं। खुले दिमाग के साथ आए दिन की चुनौतियों. . . . नफे- ... Read more
मन का एक ही ढर्रे पर दौड़ते रह जाना, हमें कहीं पहुंचाता भी नहीं है और थका भी देता है। मन जब ढलना नहीं जानता, तब हम ढहने लगते हैं। खुले दिमाग के साथ आए दिन की चुनौतियों. . . . नफे-नुकसान के साथ तालमेल बनाना आसान हो जाता है। सोच को लचीला बनाना क्यों जरूरी है, तेरी मेरी बात में इसी पर बात Read more
तरक्की की ओर कदम बढ़ाना हर एक के लिए आसान नहीं होता। कई बार सब कुछ परफेक्ट होता है। पर आगे कदम बढ़ने के लिए जो हिम्मत चाहिए, हम नहीं जुटा पाते। पर, हम जहां हैं, वहां भी हमेशा बने न ... Read more
तरक्की की ओर कदम बढ़ाना हर एक के लिए आसान नहीं होता। कई बार सब कुछ परफेक्ट होता है। पर आगे कदम बढ़ने के लिए जो हिम्मत चाहिए, हम नहीं जुटा पाते। पर, हम जहां हैं, वहां भी हमेशा बने नहीं रह सकते! हम या तो आगे बढ़ सकते हैं या फिर पीछे छूट जाते हैं। आगे बढ़ने पर डर लगता है तो क्या करना चाहिए, इसी पर आज की तेरी-मेरी बात। Read more
हम दूसरों के बारे में सब कुछ नहीं जानते। कोई किस चिंता से जूझ रहा है, हमें नहीं मालूम। दूसरों से किसी तरह की सख्ती करते समय हमें उन्हें थोड़ी छूट जरूर देनी चाहिए। उनकी कोई मजबूरी ह ... Read more
हम दूसरों के बारे में सब कुछ नहीं जानते। कोई किस चिंता से जूझ रहा है, हमें नहीं मालूम। दूसरों से किसी तरह की सख्ती करते समय हमें उन्हें थोड़ी छूट जरूर देनी चाहिए। उनकी कोई मजबूरी हो सकती है... बेनिफिट ऑफ डाउट देना चाहिए। हमारी छोटी सी मुस्कान, अपनेपन का स्पर्श, मदद के हाथ, दूसरों की सुन लेने वाले कान, कई छोटी-छोटी बातें हैं, जो हमें बड़े दिलवाला बना देती हैं। तेरी-मेरी बात में आज इसी पर बात Read more
कभी-कभार यह बात परेशान कर देती है कि हर कोई बिजी है। हम बोलना चाहते हैं, तो दूसरों के पास समय नहीं। कभी दूसरे मिलना चाहते हैं तो हम मना कर देते हैं। पर हम लगातार दौड़ तो नहीं सकते? ... Read more
कभी-कभार यह बात परेशान कर देती है कि हर कोई बिजी है। हम बोलना चाहते हैं, तो दूसरों के पास समय नहीं। कभी दूसरे मिलना चाहते हैं तो हम मना कर देते हैं। पर हम लगातार दौड़ तो नहीं सकते? थोड़ी देर के लिए ही, पर अपने सुकून की छोटी-छोटी कोशिशें तो हम कर ही सकते हैं। तेरी मेरी बात में आज इसी पर बात | Read more
समझौता यानी मजबूरी का नाम। हममें से ज्यादातर यही सोचते हैं। कंप्रोमाइज करने के लिए हम आसानी से तैयार नहीं होते। मन में गुस्सा और कड़वाहट रहती है। हम बुरा महसूस करते हैं। पर क्या स ... Read more
समझौता यानी मजबूरी का नाम। हममें से ज्यादातर यही सोचते हैं। कंप्रोमाइज करने के लिए हम आसानी से तैयार नहीं होते। मन में गुस्सा और कड़वाहट रहती है। हम बुरा महसूस करते हैं। पर क्या समझौतों के बगैर जिंदगी संभव है? कहीं ऐसा तो नहीं कि खुद के साथ या फिर दूसरों से तालमेल बिठाने की हर जरूरी कोशिश को हम समझौते के चश्मे से देखने लगे हैं। समझौता करना हमेशा बुरा नहीं होता इसी पर आज की तेरी-मेरी बात| Read more
दुनिया में देखने-समझने और करने के लिए बहुत कुछ है। हम चाहकर भी सब कुछ नहीं कर सकते। हम सबकी लिमिट्स होती हैं। पर, लिमिट्स हमेशा रोकती नहीं हैं। समस्या सीमाएं होने से नहीं, उन्हें न ... Read more
दुनिया में देखने-समझने और करने के लिए बहुत कुछ है। हम चाहकर भी सब कुछ नहीं कर सकते। हम सबकी लिमिट्स होती हैं। पर, लिमिट्स हमेशा रोकती नहीं हैं। समस्या सीमाएं होने से नहीं, उन्हें न जानने से होती हैं। हाइकु कविता की तरह लिमिट्स में हम बहुत कुछ बढि़या रच सकते हैं। तेरी-मेरी बात में आज करेंगे हाइकु प्रोडक्टिविटी पर बात | Read more
कम का मतलब हमेशा मज़बूरी या समझौता नहीं होता। बहुत सारी ज़रूरतें ऐसी हैं, जिन्हें हमने बेकार ही जोड़ा हुआ है। फालतू की ये चीजे़ं हमें उलझाती ही ज़्यादा हैं। कई बार कम होना ही ज़्या ... Read more
कम का मतलब हमेशा मज़बूरी या समझौता नहीं होता। बहुत सारी ज़रूरतें ऐसी हैं, जिन्हें हमने बेकार ही जोड़ा हुआ है। फालतू की ये चीजे़ं हमें उलझाती ही ज़्यादा हैं। कई बार कम होना ही ज़्यादा होना है। छोड़ना ही पाना है। किन ज़रूरतों में करें कमी, तेरी-मेरी बात में इसी पर बात Read more
ज्यादातर के लिए नया साल पुराना हो चुका है। हर साल एक दूसरे को न्यू ईयर विश करने की रस्म होती है, जो निभाई जा चुकी है। बाकी क्या बदला? हम पुराना ही खोजते रहे। पुराने पर अटके रहे। पु ... Read more
ज्यादातर के लिए नया साल पुराना हो चुका है। हर साल एक दूसरे को न्यू ईयर विश करने की रस्म होती है, जो निभाई जा चुकी है। बाकी क्या बदला? हम पुराना ही खोजते रहे। पुराने पर अटके रहे। पुराने होते गए। पर बीते सालों की धुंध हटेगी तो नए साल की धूप का स्वागत कर पाएंगे! नयापन महसूस हो तो कैसे? इसी पर आज की तेरी-मेरी बात। Read more
यूं बीस-इक्कीस का फर्क बहुत मायने नहीं रखता। पर अंतर तो होता है। मन में थोड़ी टीस भी रह ही जाती है। फिर जब सारी दुनिया 2021 में आ गई है तो आप 20 में ही क्यों अटके रहें। आप भी इक्की ... Read more
यूं बीस-इक्कीस का फर्क बहुत मायने नहीं रखता। पर अंतर तो होता है। मन में थोड़ी टीस भी रह ही जाती है। फिर जब सारी दुनिया 2021 में आ गई है तो आप 20 में ही क्यों अटके रहें। आप भी इक्कीस क्यों न बनें। तेरी मेरी बात में आज इसी पर बात। Read more