समस्या देखते ही हम घबरा उठते हैं। हमें लगता है कि हम मजबूती से इसका सामना नहीं कर पाएंगे। हम सोच ही नहीं पाते कि कभी अपने दुख से बाहर भी आ सकेंगे। हम अतियों में जीते हैं। छोटी सी बात पर बहुत खुश तो कभी बहुत दुखी। कभी खुद को ज्यादा ही मजबूत मान लेते हैं, तो कभी थोड़ा सा भी भरोसा नहीं रख पाते। कमजोर नहीं हैं आप, तेरी-मेरी बात में आज इसी पर बात
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