हम यूं ही बैठे रहते हैं। बैठना भी एक लत है। पहले मामूली कामों के लिए खड़े नहीं होते। फिर जरूरी कामों के लिए भी बैठे रह जाते हैं। हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने की यह आदत शरीर ही नहीं, सोच को भी बिठा देती है। कहीं आपको तो ये लत नहीं! इस कड़ी में, हम सक्रिय रहने के महत्व पर चर्चा करते हैं
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