हमें लगता है कि बच्चे हमसे हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि हम केवल माध्यम हैं। वे हमारी प्रोपर्टी नहीं हैं। तो क्या एक बेहतर समाज बनाने के लिए हमें उनकी परवरिश पर आध्यात्मिक तरीके से ... Read more
हम सभी का व्यक्तित्व अलग-अलग है। पर क्या हम में से कोई भी पारदर्शी है ? स्थितियां बड़ी जटिल हैं, चाहें परिवार हो या वर्कप्लेस। हम सभी को इन तरह-तरह के व्यक्तित्व के लोगों का सामना ... Read more
मूर्खता और श्रेष्ठता व्यक्तित्व के दो अलग-अलग सिरे हो सकते हैं। पर क्या यही अंतिम सीमा रेखा है? हमारे आसपास कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो मूर्खता से परिचय करवाकर उसे श्रेष्ठता तक ले जाते ... Read more
हम जिस आजाद देश में सांस ले रहे हैं, उस देश को बनते हुए हमारे पूर्वजों ने देखा है और उसकी नींव में कितना दर्द और संघर्ष है, ये वही जानते थे। आज वह पीढ़ी लगभग खत्म होने लगी है, पर ब ... Read more
संभोग या सेक्स इस समय युवाओं में सबसे ज्यादा उलझनों भरा विषय है। वे इसमें शामिल होना चाहते हैं, इसका आनंद लेना चाहते हैं और समाज उस पर पहरे बैठाता है। तो क्या कहता है हमारा दर्शन? ... Read more
प्रकृति के बीच हम खुश होते हैं, कभी प्राकृतिक आपदाओं पर दुखी भी होते हैं और हमारा कोई भी दिन प्रकृति के बिना पूरा नहीं होता। पर इस पूरे जीवन में क्या हमने प्रकृति को कभी कुछ दिया? ... Read more
हम बॉलीवुड सेलेब्स के बारे में अपने पड़ोसी से भी ज्यादा जानते हैं, जबकि वैज्ञानिक, दार्शनिक, और बहुत से ऐसे लोगों को हम नहीं जानते, जिनका हमारे जीवन में मूल्यवान योगदान है। क्यों ह ... Read more
पार्टी, शॉपिंग, हॉलीडे, .... कितना कुछ था जिन पर हम खुश हुआ करते थे। पर कोरोना ने इन सब चीजों को एकदम परे धकेल दिया है। अर्थात खुशी के ये पैमाने स्थायी नहीं, यानी इनके बिना भी खुश ... Read more
दुनिया भर के सभी धर्म यही कहते हैं कि मृत्यु शाश्वत है। सभी को इसे स्वीकार करना पड़ता है। इसके बावजूद जब हमारा कोई प्रियजन हमसे बिछुड़ता है, तो हम आपा खोने लगते हैं। कोविड-19 महामा ... Read more
दुख हमें मांझता है, पर जब यह दुख किसी प्राकृतिक आपदा या महामारी के रूप में आता है, तो ये हमें सामुहिक रूप से शुद्ध होने में मदद करता है। जैन दर्शन में सामुहिक कर्म का एक सिद्धांत ह ... Read more