हम सभी के मन में कुछ न कुछ अच्छे और बुरे भाव रहते ही हैं। हर रोज के अनुभव इनमें इजाफा करते हैं। जब ये ओवर फ्लडेड होने लगते हैं, तो हम उसे दूसरों के साथ बांटते हैं। पर चाहते हैं कि वह इसे अपने तक ही रखे। पर क्या ऐसा सचमुच होता है? डॉ. मेधावी जैन मन की मेधा के इस एपिसोड में कर्म सिद्धांत के आधार पर आंक रहीं हैं क्या है सबसे बेहतर तरीका।
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