हमें लगता है कि बच्चे हमसे हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि हम केवल माध्यम हैं। वे हमारी प्रोपर्टी नहीं हैं। तो क्या एक बेहतर समाज बनाने के लिए हमें उनकी परवरिश पर आध्यात्मिक तरीके से ... Read more
हमें लगता है कि बच्चे हमसे हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि हम केवल माध्यम हैं। वे हमारी प्रोपर्टी नहीं हैं। तो क्या एक बेहतर समाज बनाने के लिए हमें उनकी परवरिश पर आध्यात्मिक तरीके से ध्यान देना चाहिए। हेल्थ शॉट्स पॉडकास्ट मन की मेधा के इस एपिसोड में लाइफ कोच डॉ. मेधावी जैन कर रहीं हैं इस पर विस्तार से बात। Read more
हम सभी का व्यक्तित्व अलग-अलग है। पर क्या हम में से कोई भी पारदर्शी है ? स्थितियां बड़ी जटिल हैं, चाहें परिवार हो या वर्कप्लेस। हम सभी को इन तरह-तरह के व्यक्तित्व के लोगों का सामना ... Read more
हम सभी का व्यक्तित्व अलग-अलग है। पर क्या हम में से कोई भी पारदर्शी है ? स्थितियां बड़ी जटिल हैं, चाहें परिवार हो या वर्कप्लेस। हम सभी को इन तरह-तरह के व्यक्तित्व के लोगों का सामना करना पड़ता है। हम इन्हें छोड़ नहीं सकते, पर इनसे कैसे निपटा जाए आज इसी पर बात कर रहीं हैं लाइफ कोच डॉ. मेधावी जैन, हेल्थ शॉट्स पॉडकास्ट मन की मेधा के इस एपिसोड में। Read more
मूर्खता और श्रेष्ठता व्यक्तित्व के दो अलग-अलग सिरे हो सकते हैं। पर क्या यही अंतिम सीमा रेखा है? हमारे आसपास कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो मूर्खता से परिचय करवाकर उसे श्रेष्ठता तक ले जाते ... Read more
मूर्खता और श्रेष्ठता व्यक्तित्व के दो अलग-अलग सिरे हो सकते हैं। पर क्या यही अंतिम सीमा रेखा है? हमारे आसपास कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो मूर्खता से परिचय करवाकर उसे श्रेष्ठता तक ले जाते हैं। तो क्या हम भी अपनी मूर्खता को श्रेष्ठता तक ले जा सकते हैं? हेल्थ शॉट्स पॉडकास्ट मन की मेधा के इस एपिसोड में लाइफ कोच डॉ.मेधावी जैन कर रहीं हैं इस मुद्दे पर बात। Read more
हम जिस आजाद देश में सांस ले रहे हैं, उस देश को बनते हुए हमारे पूर्वजों ने देखा है और उसकी नींव में कितना दर्द और संघर्ष है, ये वही जानते थे। आज वह पीढ़ी लगभग खत्म होने लगी है, पर ब ... Read more
हम जिस आजाद देश में सांस ले रहे हैं, उस देश को बनते हुए हमारे पूर्वजों ने देखा है और उसकी नींव में कितना दर्द और संघर्ष है, ये वही जानते थे। आज वह पीढ़ी लगभग खत्म होने लगी है, पर बंटवारे की मानसिकता अब भी हमारे समाज में मौजूद है। पर क्या आदर्श राज्य अपनी मानसिकता में बंटवारे के बीज ले सकता है? भारतीय स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर लाइफ कोच डॉ. मेधावी जैन पूछ रहीं हैं ऐसे ही कुछ सवाल। तो सुनते रहिए हेल्थ शॉट्स हिंदी पॉडकास्ट, मन की मेधा। Read more
संभोग या सेक्स इस समय युवाओं में सबसे ज्यादा उलझनों भरा विषय है। वे इसमें शामिल होना चाहते हैं, इसका आनंद लेना चाहते हैं और समाज उस पर पहरे बैठाता है। तो क्या कहता है हमारा दर्शन? ... Read more
संभोग या सेक्स इस समय युवाओं में सबसे ज्यादा उलझनों भरा विषय है। वे इसमें शामिल होना चाहते हैं, इसका आनंद लेना चाहते हैं और समाज उस पर पहरे बैठाता है। तो क्या कहता है हमारा दर्शन? हेल्थ शॉट्स हिंदी के पॉडकास्ट मन की मेधा के इस एपिसोड में लाइफ कोच डॉ. मेधावी जैन दर्शन, यूनिवर्स, प्रकृति और संभोग के आनंद को फिर से समझने की कोशिश कर रहीं हैं। Read more
प्रकृति के बीच हम खुश होते हैं, कभी प्राकृतिक आपदाओं पर दुखी भी होते हैं और हमारा कोई भी दिन प्रकृति के बिना पूरा नहीं होता। पर इस पूरे जीवन में क्या हमने प्रकृति को कभी कुछ दिया? ... Read more
प्रकृति के बीच हम खुश होते हैं, कभी प्राकृतिक आपदाओं पर दुखी भी होते हैं और हमारा कोई भी दिन प्रकृति के बिना पूरा नहीं होता। पर इस पूरे जीवन में क्या हमने प्रकृति को कभी कुछ दिया? मन की मेधा में लाइफ कोच डॉ. मेधावी जैन कर रहीं हैं इसी मुद्दे पर गहराई से बात। Read more
हम बॉलीवुड सेलेब्स के बारे में अपने पड़ोसी से भी ज्यादा जानते हैं, जबकि वैज्ञानिक, दार्शनिक, और बहुत से ऐसे लोगों को हम नहीं जानते, जिनका हमारे जीवन में मूल्यवान योगदान है। क्यों ह ... Read more
हम बॉलीवुड सेलेब्स के बारे में अपने पड़ोसी से भी ज्यादा जानते हैं, जबकि वैज्ञानिक, दार्शनिक, और बहुत से ऐसे लोगों को हम नहीं जानते, जिनका हमारे जीवन में मूल्यवान योगदान है। क्यों हुआ ऐसा, क्या इसका असर हमारे व्यक्तित्व पर भी पड़ रहा है? हेल्थ शॉट्स पॉडकास्ट मन की मेधा के आज के इस एपिसोड में लाइफ कोच डॉ. मेधावी जैन कर रहीं हैं हमारे आदर्शों और हमारे व्यक्तित्व पर उनके प्रभाव के बारे में। Read more
पार्टी, शॉपिंग, हॉलीडे, .... कितना कुछ था जिन पर हम खुश हुआ करते थे। पर कोरोना ने इन सब चीजों को एकदम परे धकेल दिया है। अर्थात खुशी के ये पैमाने स्थायी नहीं, यानी इनके बिना भी खुश ... Read more
पार्टी, शॉपिंग, हॉलीडे, .... कितना कुछ था जिन पर हम खुश हुआ करते थे। पर कोरोना ने इन सब चीजों को एकदम परे धकेल दिया है। अर्थात खुशी के ये पैमाने स्थायी नहीं, यानी इनके बिना भी खुश हुआ जा सकता है। जीवन, प्राण और अपनों की उपस्थिति अब यहीं हैं हमारे लिए खुशी के असल मापदंड। कोरोना ने कैसे बदल दी है खुशियों की परिभाषा हेल्थ शॉट्स पॉडकास्ट मन की मेधा के इस एपिसोड में लाइफ कोच डॉ. मेधावी जैन बता रहीं हैं कैसे। Read more
दुख हमें मांझता है, पर जब यह दुख किसी प्राकृतिक आपदा या महामारी के रूप में आता है, तो ये हमें सामुहिक रूप से शुद्ध होने में मदद करता है। जैन दर्शन में सामुहिक कर्म का एक सिद्धांत ह ... Read more
दुख हमें मांझता है, पर जब यह दुख किसी प्राकृतिक आपदा या महामारी के रूप में आता है, तो ये हमें सामुहिक रूप से शुद्ध होने में मदद करता है। जैन दर्शन में सामुहिक कर्म का एक सिद्धांत है। जिसके लिए हम सभी सामुहिक रूप से उत्तरदायी होते हैं और उसका फल भी हमें सामुहिक रूप से वहन करना पड़ता है। कोरोना वायरसर की दूसरी लहर में आया भी इसी का उदाहरण है। हेल्थ शॉट्स पॉडकास्ट मन की मेधा के इस एपिसोड में लाइफ कोच डॉ. मेधावी जैन अपने अनुभवों के साथ आज इसी पर बात कर रहीं हैं। Read more
जब हम दौड़ रहे होते हैं, प्रतियोगिता में होते हैं तब हमें एक-दसरे की कमियां ही नजर आती हैं। हम एक-दूसरे को पछाड़ कर आगे निकलना चाहते हैं। पर यह समय एक-दूसरे को पछाड़ने का नहीं, बल् ... Read more
जब हम दौड़ रहे होते हैं, प्रतियोगिता में होते हैं तब हमें एक-दसरे की कमियां ही नजर आती हैं। हम एक-दूसरे को पछाड़ कर आगे निकलना चाहते हैं। पर यह समय एक-दूसरे को पछाड़ने का नहीं, बल्कि प्रेम जताने और साथ निभाने का समय है। प्रकृति हमें हमारे मूल रूप में आने का समय दे रही है। Read more