एक उम्र के बाद हम चीजों को अलग नजरिये से देखने लगते हैं, जबकि चीजें वही रहती हैं। फिर चाहें वह आपका खानपान हो या त्यौहारों को मनाने का आपका तरीका। ऐसा क्यों होता है? क्या आपने कभी सोचा है? क्या अनुभव और परिस्थितियों के साथ किसी चीज या परिस्थिति को देखने का हमारा दृष्टिकाेण भी बदल जाता है? क्या सत्य भी अलग-अलग तरह का हो सकता है? मन की मेधा सीजन 2 के दूसरे एपिसोड में लाइफ कोच डॉ. मेधावी जैन इन्हीं सवालों के जवाब देने की कोशिश कर रहीं हैं।
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