पार्टी, शॉपिंग, हॉलीडे, .... कितना कुछ था जिन पर हम खुश हुआ करते थे। पर कोरोना ने इन सब चीजों को एकदम परे धकेल दिया है। अर्थात खुशी के ये पैमाने स्थायी नहीं, यानी इनके बिना भी खुश हुआ जा सकता है। जीवन, प्राण और अपनों की उपस्थिति अब यहीं हैं हमारे लिए खुशी के असल मापदंड। कोरोना ने कैसे बदल दी है खुशियों की परिभाषा हेल्थ शॉट्स पॉडकास्ट मन की मेधा के इस एपिसोड में लाइफ कोच डॉ. मेधावी जैन बता रहीं हैं कैसे।
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