आज का ख्याल शायर मुज़फ़्फ़र हनफ़ी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'इस खुर्दुरी ग़ज़ल को, ना यूं मुंह बना के देख'। मुज़फ़्फ़र हनफ़ी साहब अदब में वह कादिर उल कलाम शायर के रूप में जाने ... Read more
आज का ख्याल शायर मुज़फ़्फ़र हनफ़ी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'इस खुर्दुरी ग़ज़ल को, ना यूं मुंह बना के देख'। मुज़फ़्फ़र हनफ़ी साहब अदब में वह कादिर उल कलाम शायर के रूप में जाने जाते थे। उनकी पहचान एक ऐसे शायर की थी जिसे किसी भी खयाल को शेर में बांधने का हुनर आता था। Read more
आज का ख्याल शाद आरफ़ी की कलम से। शायर कहते है - 'देख कर शेर ने उसको नुक्ता-ए-हिकमत कहा,और बेशक़ ज़माने ने उसे "औरत" कहा' | शाद आरफ़ी की गिनती उर्दू के महत्वपूर्ण शायरों में होती है। ... Read more
आज का ख्याल शाद आरफ़ी की कलम से। शायर कहते है - 'देख कर शेर ने उसको नुक्ता-ए-हिकमत कहा,और बेशक़ ज़माने ने उसे "औरत" कहा' | शाद आरफ़ी की गिनती उर्दू के महत्वपूर्ण शायरों में होती है। उन्होंने ग़ज़ल-नज़्म दोनों ही विधाओं में रचना की। शाद एक संवेदनशील व्यक्ति थे, उनकी शायरी में पायी जाने वाली संवेदना ख़ुद उनकी ज़िंदगी के अनुभवों से भी आयी है | Read more
आज का ख्याल शायर शकील बदायूनी की कलम से। शायर कहते है - 'मेरे हमनफ़स, मेरे हमनवा, मुझे दोस्त बनके दग़ा न दे'। शकील बदायूनी मसऊदी का जन्म स्थान उत्तर प्रदेश का शहर बदायूँ है। यह एक ... Read more
आज का ख्याल शायर शकील बदायूनी की कलम से। शायर कहते है - 'मेरे हमनफ़स, मेरे हमनवा, मुझे दोस्त बनके दग़ा न दे'। शकील बदायूनी मसऊदी का जन्म स्थान उत्तर प्रदेश का शहर बदायूँ है। यह एक उर्दू के शायर और साहित्यकार थे। लेकिन इन्होंने बालीवुड में गीत रचनाकार के रूप में नाम कमाया। Read more
आज का ख्याल शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की कलम से। शायर कहते है - 'बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मेरे आगे, होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे'। मिर्ज़ा असदुल्लाह बेग ख़ान, जो अपने तख़ल्लुस ग़ालिब ... Read more
आज का ख्याल शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की कलम से। शायर कहते है - 'बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मेरे आगे, होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे'। मिर्ज़ा असदुल्लाह बेग ख़ान, जो अपने तख़ल्लुस ग़ालिब से जाने जाते हैं, उर्दू एवं फ़ारसी भाषा के एक महान शायर थे। इनको उर्दू भाषा का सर्वकालिक महान शायर माना जाता है और फ़ारसी कविता के प्रवाह को हिन्दुस्तानी जबान में लोकप्रिय करवाने का श्रेय भी इनको दिया जाता है। Read more
आज का ख्याल शायर गुलज़ार साहब की कलम से। शायर कहते है - 'ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में, एक पुराना ख़त खोला अनजाने में'। ये एक स्पेशल एपिसोड है गुलज़ार साहब की जन्मदिन के मौके पर। ... Read more
आज का ख्याल शायर गुलज़ार साहब की कलम से। शायर कहते है - 'ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में, एक पुराना ख़त खोला अनजाने में'। ये एक स्पेशल एपिसोड है गुलज़ार साहब की जन्मदिन के मौके पर। अगर आपको भी गुलज़ार साहब की कलम से मोहब्बत है तो आइये @htsmartcast के सोशल मीडिया हैंडल पर और साथ मनाइये गुलज़ार साहब का जन्मदिन। Read more
आज का ख्याल शायर नसीर तुराबी की कलम से। शायर कहते है - 'वो हम-सफ़र था मगर उस से हम-नवाई न थी'। नसीर तुराबी उर्दू के अजीम शायर हैं जिनका फन जगजाहिर है। नसीर साहब की पैदाइश निजाम के ... Read more
आज का ख्याल शायर नसीर तुराबी की कलम से। शायर कहते है - 'वो हम-सफ़र था मगर उस से हम-नवाई न थी'। नसीर तुराबी उर्दू के अजीम शायर हैं जिनका फन जगजाहिर है। नसीर साहब की पैदाइश निजाम के शहर हैदराबाद से थी। लेकिन भारत पाकिस्तान बंटवारे के वक्त उनके पिता परिवार सहित पाकिस्तान के कराची में जाकर बस गए। Read more
आज का ख्याल शायर बेहज़ाद लखनवी की कलम से। शायर कहते है - 'आए जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूं'। बेहज़ाद लखनवी एक पाकिस्तानी उर्दू कवि और गीतकार थे। उन्होंने मुख्य रूप से नात और ग़ज़लें लि ... Read more
आज का ख्याल शायर बेहज़ाद लखनवी की कलम से। शायर कहते है - 'आए जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूं'। बेहज़ाद लखनवी एक पाकिस्तानी उर्दू कवि और गीतकार थे। उन्होंने मुख्य रूप से नात और ग़ज़लें लिखीं और कभी-कभी ऑल इंडिया रेडियो, दिल्ली के लिए और बाद में पाकिस्तान में प्रवास के बाद रेडियो पाकिस्तान के लिए रेडियो नाटक लिखे। Read more
आज का ख्याल शायर कैफ़ भोपाली की कलम से। शायर कहते है - 'कौन आयेगा यहाँ कोई न आया होगा'। कैफ़ भोपाली एक भारतीय उर्दू शायर और फ़िल्मी गीतकार थे। वे 1972 में बनी कमाल अमरोही की फिल्म ... Read more
आज का ख्याल शायर कैफ़ भोपाली की कलम से। शायर कहते है - 'कौन आयेगा यहाँ कोई न आया होगा'। कैफ़ भोपाली एक भारतीय उर्दू शायर और फ़िल्मी गीतकार थे। वे 1972 में बनी कमाल अमरोही की फिल्म पाक़ीज़ा में मोहम्मद रफ़ी द्वारा गाये गीत "चलो दिलदार चलो..." से लोकप्रिय हुए। Read more
आज का ख्याल शायर साग़र सिद्दीक़ी की कलम से। शायर कहते है - चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अँधेरा है। साग़र सिद्दीक़ी 1928 में अंबाला में पैदा हुए। उनका ख़ानदानी नाम मुहम्मद अख़्तर था। साग़र ... Read more
आज का ख्याल शायर साग़र सिद्दीक़ी की कलम से। शायर कहते है - चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अँधेरा है। साग़र सिद्दीक़ी 1928 में अंबाला में पैदा हुए। उनका ख़ानदानी नाम मुहम्मद अख़्तर था। साग़र के घर में बदतरीन ग़ुरबत थी। इस एपिसोड में आप में से एक मेहमान शायर भी है। शायर का नाम है - मनीष चंद्रा और उनका ख्याल है 'वक़्त की चीखें सुनाई नहीं देती हमको'। Read more
आज का ख्याल शायर बेख़ुद देहलवी की कलम से। शायर कहते है - दे मोहब्बत तो मोहब्बत में असर पैदा कर। खुद देहलवी जी का जन्म 21 मार्च 1863 में राजस्थान के भरतपुर जिले में हुआ था इनका पूरा ... Read more
आज का ख्याल शायर बेख़ुद देहलवी की कलम से। शायर कहते है - दे मोहब्बत तो मोहब्बत में असर पैदा कर। खुद देहलवी जी का जन्म 21 मार्च 1863 में राजस्थान के भरतपुर जिले में हुआ था इनका पूरा नाम सईद वहीदुद्दीन अहमद था ये एक प्रसिद्ध उर्दू के शायर के नाम से प्रसिद्ध थे और इनकी मृत्यु 2 अक्टूबर 1955 में हुई | Read more