Follow
Partner with Us
S2E25 | खराबी का आग़ाज़ कहा से हुआ यह बताना है मुश्किल- Azam Bahzad
S2E25 | खराबी का आग़ाज़ कहा से हुआ यह बताना है मुश्किल- Azam Bahzad
00:00 / 00:00

Available Episodes

EPISODE 86

आज का ख्याल शायर सादात नज़ीर साहब की कलम से | शायर कहते है - कौन मरता है ज़िंदगी के लिए, जी रहा हूँ तिरी ख़ुशी के लिए | सादात नज़ीर जी एक जाने माने लेखक और शायर है। उन्होंने कई किता ... Read more

आज का ख्याल शायर सादात नज़ीर साहब की कलम से | शायर कहते है - कौन मरता है ज़िंदगी के लिए, जी रहा हूँ तिरी ख़ुशी के लिए | सादात नज़ीर जी एक जाने माने लेखक और शायर है। उन्होंने कई किताबे लिखी है। Read more

EPISODE 85

आज का ख्याल शायर इरफ़ान सिद्दीकी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'बदन में जैसे लहू ताज़ियाना हो गया है'। इरफ़ान सिद्दीकी सबसे महत्वपूर्ण आधुनिक शायरों में शामिल थे और अपने नव-क्लासि ... Read more

आज का ख्याल शायर इरफ़ान सिद्दीकी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'बदन में जैसे लहू ताज़ियाना हो गया है'। इरफ़ान सिद्दीकी सबसे महत्वपूर्ण आधुनिक शायरों में शामिल थे और अपने नव-क्लासिकी लहजे के लिए विख्यात। Read more

EPISODE 84

आज का ख्याल शायर निदा फाजली साहब की कलम से। शायर कहते है - 'तू इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल है, जहां भी जाऊं ये लगता है, तेरी महफ़िल है'। निदा फाजली हिंदी और उर्दू के मशहूर शायर, ... Read more

आज का ख्याल शायर निदा फाजली साहब की कलम से। शायर कहते है - 'तू इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल है, जहां भी जाऊं ये लगता है, तेरी महफ़िल है'। निदा फाजली हिंदी और उर्दू के मशहूर शायर, गीतकार थे। वे 1964 में मुंबई आए और धर्मयुग पत्रिका और ब्लिट्ज जैसे अखबार में काम किया। उनकी काव्य शैली ने फिल्म निर्माताओं और हिंदी और उर्दू साहित्य के लेखकों को आकर्षित किया। Read more

EPISODE 83

आज का ख्याल शायर साबिर अल्वी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'कुंज-ए-तन्हाई के अफगार में क्या रखा है'। Read more

आज का ख्याल शायर साबिर अल्वी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'कुंज-ए-तन्हाई के अफगार में क्या रखा है'। Read more

EPISODE 82

आज का ख्याल शायर ग़ुलाम हमदानी मुसहफ़ी की कलम से। शायर कहते है - 'आए हो तो ये हिजाब क्या है'। ग़ुलाम हमदानी मुसहफ़ी उर्दू के बड़े शायर हुए। इनके समकालीन और प्रतिद्वंदी इंशा और जुरअ ... Read more

आज का ख्याल शायर ग़ुलाम हमदानी मुसहफ़ी की कलम से। शायर कहते है - 'आए हो तो ये हिजाब क्या है'। ग़ुलाम हमदानी मुसहफ़ी उर्दू के बड़े शायर हुए। इनके समकालीन और प्रतिद्वंदी इंशा और जुरअत थे। ... यहाँ मीर, दर्द, सौदा और सोज़ जैसे शायर वृद्ध हो चले थे। इनका असर इनकी शाइरी पर पड़ा। Read more

EPISODE 81

आज का ख्याल शायर परवीन शाकिर की कलम से। शायर कहते है - 'अपने बिस्तर पे बहुत देर से मैं नीम-दराज़, सोचती थी कि वो इस वक़्त कहाँ पर होगा'। सैयदा परवीन शाकिर, एक उर्दू कवयित्री, शिक्ष ... Read more

आज का ख्याल शायर परवीन शाकिर की कलम से। शायर कहते है - 'अपने बिस्तर पे बहुत देर से मैं नीम-दराज़, सोचती थी कि वो इस वक़्त कहाँ पर होगा'। सैयदा परवीन शाकिर, एक उर्दू कवयित्री, शिक्षक और पाकिस्तान की सरकार की सिविल सेवा में एक अधिकारी थीं। ... फ़हमीदा रियाज़ के अनुसार ये पाकिस्तान की उन कवयित्रियों में से एक हैं जिनके शेरों में लोकगीत की सादगी और लय भी है और क्लासिकी संगीत की नफ़ासत भी और नज़ाकत भी। Read more

EPISODE 80

आज का ख्याल शायर तबिश मेहदी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'उनसे बढ़ते फासले और मै'। तबिश मेहदी का जन्म 3 जुलाई 1951 को प्रतापगढ़ में हुआ था। कविता संग्रह पर उनकी पुस्तकें "ताबीर" औ ... Read more

आज का ख्याल शायर तबिश मेहदी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'उनसे बढ़ते फासले और मै'। तबिश मेहदी का जन्म 3 जुलाई 1951 को प्रतापगढ़ में हुआ था। कविता संग्रह पर उनकी पुस्तकें "ताबीर" और "सलसबील" हैं, जो क्रमशः 1998 और 2000 में प्रकाशित हुई हैं। इस एपिसोड में हमारे साथ एक मेहमान शायर भी है और उनका ख्याल है - 'मरना आसान लगने लगा'। Read more

EPISODE 79

आज का ख्याल शायर जहीर देहलवी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'पीने की शराब और जवानी की शराब और'। जहीरुद्दीन को जहीर देहलवी के नाम से जाना जाता था। उनके पिता, सैयद जलालुद्दीन हैदर, स ... Read more

आज का ख्याल शायर जहीर देहलवी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'पीने की शराब और जवानी की शराब और'। जहीरुद्दीन को जहीर देहलवी के नाम से जाना जाता था। उनके पिता, सैयद जलालुद्दीन हैदर, सुलेख में शाह ज़फ़र के गुरु थे। जहीर को बचपन से ही शायरी का शौक था। वह चौदह वर्ष की आयु में ज़ोक देल्हवी के शिष्य बन गए। Read more

EPISODE 78

आज का ख्याल शायर इक़बाल साजिद साहब की कलम से। शायर कहते है - 'वो चाँद है तो अक्स भी पानी में आएगा, किरदार ख़ुद उभर के कहानी में आएगा'। मोहम्मद इकबाल का जन्म 1932 में सहारनपुर जिले क ... Read more

आज का ख्याल शायर इक़बाल साजिद साहब की कलम से। शायर कहते है - 'वो चाँद है तो अक्स भी पानी में आएगा, किरदार ख़ुद उभर के कहानी में आएगा'। मोहम्मद इकबाल का जन्म 1932 में सहारनपुर जिले के लंढूरा में हुआ था। विभाजन के बाद वे लाहौर चले गए। उसने दसवीं तक ही पढ़ाई की थी। उनकी गरीबी ने उन्हें अपनी कविता बेचने के लिए मजबूर किया लेकिन यह उनकी कविता की उपयोगिता साबित करता है। Read more

EPISODE 77

आज का ख्याल शायर मुज़फ़्फ़र हनफ़ी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'इस खुर्दुरी ग़ज़ल को, ना यूं मुंह बना के देख'। मुज़फ़्फ़र हनफ़ी साहब अदब में वह कादिर उल कलाम शायर के रूप में जाने ... Read more

आज का ख्याल शायर मुज़फ़्फ़र हनफ़ी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'इस खुर्दुरी ग़ज़ल को, ना यूं मुंह बना के देख'। मुज़फ़्फ़र हनफ़ी साहब अदब में वह कादिर उल कलाम शायर के रूप में जाने जाते थे। उनकी पहचान एक ऐसे शायर की थी जिसे किसी भी खयाल को शेर में बांधने का हुनर आता था। Read more

1 2 3 9
×

COOKIES AND PRIVACY

The Website uses cookies to ensure you get the best experience on our website. If you continue browsing you will be providing your consent to our use of these.

Privacy Policy